Saturday, April 2, 2016

गर्भावस्था में कैसे रहें स्मार्ट

गर्भावस्था के दौरान स्मार्ट बनकर रहने के लिए आइए जानें गर्भावस्था में स्मार्ट रहने के टिप्स।

QUICK BITES

  • गर्भावस्था में दिखें स्मार्ट।
  • पॉस्चर सही होना चाहिए।
  • स्मार्ट दिखें और अच्छा महसूस करें।
  • लेकिन ज्यादा तंग कपड़े ना पहनें।

    गर्भावस्था में थोड़ी सी भी असहजता महसूस होने पर गर्भवती महिला को सावधान रहना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात की स्थिति भी आ सकती है। गर्भावस्था के दौरान आपका पॉस्चर भी सही होना चाहिए यानी आपको ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे नौ महीने के काल में आप स्मार्ट भी दिखें और आप सहज भी महसूस करें। गर्भावस्था के दौरान स्मार्ट बनकर रहने के लिए आइए जानें गर्भावस्था में स्मार्ट रहने के टिप्स।
      • गर्भावस्था के दौरान भी आप स्मार्ट बनकर रह सकती हैं बस उसके लिए आपको अपनी थोड़ी सी अतिरिक्त देखभाल करनी होगी।
      • गर्भावस्था में यदि आप स्मार्ट बनकर रहेंगी तो आपका मन भी खुश रहेगा और इसका असर आपके होने वाले बच्चे पर भी पड़ेगा। दरअसल, गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था है जब घर में सब ओर खुशियों का माहौल हो जाता है और नन्हे मेहमान के आने की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं। ऐसे में घर में रिश्तेदारों का आना-जाना भी लगा रहता है।
      • गर्भवती महिला को अपने अंदर हो रहे परिवर्तनों को लेकर ग्लानि महसूस नहीं करनी चाहिए बल्कि इस अवस्था में भी अपने को सुंदर व आकर्षक बनाये रखना चाहिए। गर्भवती महिला को सिर्फ पहनावे में ही नहीं बल्कि अपनी पूरी दिनचर्या में भी बदलाव लाना चाहिए।
      • शरीर में हो रहे परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए गर्भवती महिला को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिसकी वजह से आपको सोने, उठने बैठने ,चलने में किसी तरह की परेशानी महसूस न हो।
      • बहुत अधिक तंग कपड़े न पहनें इससे आप आकर्षक और फिट तो दिखेंगी लेकिन आपके रक्त संचार पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
      • ज्यादातर गाढ़े रंग के कपड़े पहने इससे शरीर में हो रहे परिवर्तन और उभार कम नजर आएंगे।
      • गर्भावस्था में पहनने वाले कपड़े खरीदते वक्त अपने आराम तथा लुक का भी पूरा ध्यान रखें। आजकल की महिलाओं को इस अवस्था में भी घर से बाहर निकलना पड़ता है। आपके अच्छे पहनावे से आपका लुक और सुविधा दोनों बनी रहेगी।
      • इस अवस्था में अपने जूते चप्पल पर विषेश ध्यान दें इस समय में महिलाये ऊंची ऐडी के जूते चप्पल न ही पहनें तो अच्छा होगा अन्यथा इससे आपके शरीर के कुछ हिस्सों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, रक्त संचार में असुविधा आ सकती है। ऊंची हील पहनने से आपका पैर मुड़ सकता है आप गिर भी सकती है, पैर में मोच , सूजन आ सकती है।
      • गर्भावस्था के दौरान शरीर की साफ सफाई पर पूरा ध्यान दे। अपने हाथ, पैर की सफाई यानी मेनिक्योर-पैडीक्योर घर पर ही कर सकती है।
      • हाथों व पैरों की मालिश और सिंकाई भी करें इससे आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाली सूजन से तो आराम मिलेगा ही साथ ही आपके हाथ-पैर भी आकर्षक होंगे।
      • चेहरे की भी देखभाल करने के लिए आप घर पर ही बेसन ,तेल, हल्दी मिलाकर इत्यादि को मिलाकर पैक बनाकर चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे पर रंगत आएगी और इसके कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ेंगे।
      • गर्भावस्था में सबसे जरूरी बात है खान पान पर विशेष ध्यान रखना। हरी व ताजी सब्जियां,अंकुरित अनाज ,दूध,दही फल जो आपको तथा आपके बच्चे की सेहत के लिए फायदेमंद व जरूरी भी है। इससे आपको आयरन तथा कैल्शियम, प्रोटीन मिलेगा। आपके चेहरे पर निखार भी आएगा।

जानें गर्भावस्था के दौरान कितने गुणकारी हैं तुलसी के पत्‍ते

तुलसी से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में हर कोई जानता होगा। लेकिन बहुत कम लोगों को ही इसके गर्भावस्था के दौरान होने वाले लाभों के बारे में मालुम है। आइए जानें गर्भावस्था के दौरान तुलसी कितनी फायदेमंद है।

QUICK BITES

  • भ्रूण के मस्तिष्क का विकास करता है।
  • शिशु के हड्डियों का गठन करता है।
  • रक्तहीनता रोग से रक्षा करता है।
  • रक्त का थक्का जमने में मदद करता है।

    वेदों और प्राचीन ग्रंथों में तुलसी के स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है। इस कारण इसके पौधे की घर-घर में पूजा की जाती है। तुलसी का पौधा एक आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटी है। यह गर्भवती महिला और शिशु के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। खासकर तो इसके सेवन से कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता। इस कारण इसे आप बिना किसी की सलाह के भी ले सकते हैं। तुलसी, विटामिन, पोषक तत्‍वों, खनिजों और अन्‍य शक्तिशाली तत्‍वों का मिश्रण है। इसके सेवन से कई बीमारियां और संक्रमण को होने से बचाया जा सकता है। इसकी पत्तियां, शरीर में कीटाणुओं को मारने में सक्षम और शरीर को शक्तिशाली बनाने में सहायक होती हैं।

दवा बनाने के लिए

    तुलसी में औषधीय गुण होने के कारण इसका इस्तेमाल दवा बनाने में होता है। तुलसी में घाव को भरने का मतलब हीलिंग का गुण होता है। इसकी पत्तियां एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल होती हैं जिससे इसके सेवन से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। इसके रोजाना के सेवन से मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है। यह कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी लड़ने के लिए शरीर को ताकत प्रदान करता है। तुलसी में मौजूद तत्‍व, शरीर में एंटीबॉडी के उत्‍पादन को बढ़ा देते हैं जिस कारण उम्र में बढ़ोत्‍तरी होती है।

गर्भवती मां और शिशु के लिए गुणकारी

    गर्भावस्‍था के दौरान तुलसी का सेवन होने वाले शिशु के लिए काफी फायदेमंद होता है। अगर शिशु के गर्भाधान के दौरान आपको थोड़े कॉमपलेक्शन हुए हैं तो रोजाना तुलसी का सेवन करें। इसके रोजाना सेवन से गर्भावस्था के कॉम्पलेक्शन दूर होंगे। गर्भावस्था में तुलसी के सेवन से कई फायदे होते हैं जिनके बारे में नीचे लिखे प्वाइंटर में विस्तार से जानें-
    1. भ्रूण का विकास - तुलसी मां के गर्भ में पल रहे बच्‍चे के लिए बेहद फायदेमंद होती है। तुलसी में मौजूद विटामिन ए भ्रूण के विकास के लिए काफी उपयोगी है। यह शिशु के तंत्रिका तंत्र के समुचित विकास में मदद करता है।
    2. भ्रूण की हड्डियों का गठन - हड्डियों के गठन के लिए मैग्नीशियम काफी जरूरी होता है। तुलसी शरीर में मैग्‍नीशियम की मात्रा को संतुलित करने में मददगार होता है जिससे बच्‍चे की हड्डियों का गठन बिलकुल सही रहता है।
    3. तनाव कम करता है - गर्भावस्था के दौरान महिलाएं तनाव में रहती है। तुलसी में मौजूद मैगनींज, तनाव को कम करता है और सेलुलर क्षति के जोखिम से बचाता है।  
    4. रक्‍त का थक्‍का जमने में सहायक -  तुलसी में विटामिन के होता है जो रक्‍त को जमने में सहायक होता है। गर्भवती महिला को रोजाना तुलसी के दो पत्तों का सेवन करना चाहिए। इससे गर्भवती महिला के शरीर में खून की कमी नहीं होगी और न ही उसकी हानि होगी। साथ ही ये शरीर में खून साफ करने का काम भी करता है।  
    5. एनिमिया से बचाएं - रक्तहीनता के मरीजों को तुलसी के पत्‍तों का सेवन रोजाना करना चाहिए। इसमें ऐसे तत्‍व होते हैं तो हीमोग्‍लोबिन को बूस्‍ट कर देता है और लाल रक्‍त कोशिकाओं को बढ़ाता है। इससे ऊर्जा के स्‍तर में भी इज़ाफा होता है और गर्भावस्‍था के दौरान होने वाली थकान भी दूर हो जाती है।

प्रसवपीड़ा में कितना नुकसानदेह हो सकता है पेनकिलर इंजेक्‍शन

प्रसव पीड़ा को सहन करना कष्टकारी होता है। कई महिलाएं इस दर्द को सहन करने के लिए इंजेक्शन का सहारा लेती है। जो कि अनेक और होने वाले बच्चे दोनो के लिए नुकसानदायक होता है।

QUICK BITES

  • लेबर पेन इंजेक्शन लगवाना होता है नुकसानदायक।
  • पेथिडिन व एपिड्युरल कृत्रिम प्रकार के मॉर्फिन।
  • प्रसव दर्द में मिलता है थोड़े ही समय का आराम।
  • शिशु को मिलने वाली ऑक्सीजन होती है प्रभावित।

    पेथिडिन व एपिड्युरल  कृत्रिम प्रकार की मॉर्फिन है।  आपको इंजेक्शन के द्वारा या रग में डाली गई नलिका के ज़रिए पेथिडिन  दी जा सकती है। यह एक दर्द निवारक है और ये आपको सुस्ताने में भी मदद करेगी. एपिड्युरल आपकी रीढ में दिया जाने वाला इंजेक्शन है। यह इंजेक्शन आपकी नाभि से लेकर आपकी टांगों और पैरों तक आपको सुन्न कर देता है जिससे आप खिंचावों का दर्द महसूस नहीं कर।. अगर आप अपने बच्चे को अस्पताल में जन्म दें तो ही आप एपिड्युरल ले सकती हैं। 
    • केवल कुछ समय के लिए दर्द से आराम देती है और गर्भ के भारीपन को कम देती है औऱ ये प्रसव को धीमा कर सकती है। इंजेक्शन लगवाने वाली हर तीन में से एक महिला को इससे ज्यादा फायदा नहीं हुआ। इससे आपको बेहोशी, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो सकती है। इंजेक्शन से आपको ऑक्सीजन मास्क लगाने की जरूरत भी हो सकती है। हो सकता है आपको उल्टी की शिकायत भी हो।  
    • इन से थोडी नींद और अवसाद होने जैसी स्थिति हो जाती है।इसको लगाने से प्लासेंटा क्रास होने के कारण कभीकभी शिशु को पहुंचने वाली आक्सीजन की मात्रा कम होने की आशंका रहती है। खासतौर से तब, जब इसको लगाने के दो घंटे के अंदर ही अगर शिशु का जन्म हो जाए। इंजेक्शन के बाद स्तनपान कराने में भी दिक्कत आ सकती है ।
    • ज्यादातर समय आपको बिस्तर पर ही बिताना पड़ सकता है,  इन इंजेक्शन के बाद भी संभावना रह जाती है कि पेट का छोटा सा हिस्सा सुन्न ना हो पायें, जिससे दर्द लगातार बना ही रहता है।रक्तचाप कम हो जाने पर ड्रिप लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है। हर खुराक के बाद आपके बच्चे के दिल की धड़कन की निगरानी करनी पड़ेगी। फोर्सेप या वेन्टूज जैसे साधनों की मदद से प्रसव होने की अधिक संभावना होती है।  पेशाब करने में समस्या पैदा कर सकता है


    आपके बच्चे को उसके शरीर में से पेथिडिन और एपिड्युरल के प्रभावों को दूर करने के लिए जन्मते ही इंजेक्शन लेने की ज़रूरत पड़ सकती है।

गर्भावस्‍था में बार-बार पेशाब आने और अधिक प्‍यास लगने का इलाज

बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना गर्भावस्था का सबसे सामान्य लक्षण है। ये लक्षण आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान रह सकते हैं। हालांकि इनसे निपटने के लिये आप निम्न उपाय कर सकती हैं।


QUICK BITES

  • बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना गर्भावस्था का सामान्य लक्षण।
  • श्रोणि क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ने से मूत्राशय अधिक सक्रिय हो जाता है।
  • गर्भावस्था के दौरान अधिक पेशाब जाने से अधिक प्‍यास भी लगती है।
  • पेशाब जाने पर ठीक से पेशाब करें और ब्लैडर को पूरी तरह खाली करें।

  • बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना गर्भावस्था का सबसे सामान्य लक्षण है। आमतौर पर गर्भाधान के एक हफ्ते बाद यह लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा दरअसल गर्भाधान के दौरान जब डिम्ब और शुक्राणु के मिलने पर अंडे के निषेचित होने से होता है। ऐसा में अंडा खुद को गर्भाशय की दीवार पर प्रत्यारोपित करता है, जिससे एक एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) नामक प्रेग्नेंसी हार्मोन स्त्रावित होता है। यह हार्मोन शरीर व श्रोणि क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ा देता है। श्रोणि क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ने से मूत्राशय अधिक सक्रिय हो जाता है और बार-बार मूत्र त्याग करने की इच्छा होती है। वहीं अधिक पेशाब जाने से अधिक प्‍यास भी लगती है। ये लक्षण आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान रह सकते हैं। हालांकि इनसे निपटने के लिये आप निम्न उपाय कर सकती हैं। - 

बार-बार पेशाब आने की समस्या से निपटने के लिये


    • जितनी बार पेशाब आप, पेशाब करें, क्योंकि पेशाब को रोक कर रखने की स्थिति में आपका ब्लैडर पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है, जिसके कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण या UTIs होने की संभावना अधिक होती है।
    • हर बार पेशाब जाने पर ठीक से पेशाब करें और ब्लैडर को पूरी तरह खाली करें। ब्लैडर को पूरी तरह खाली करने के लिये पेशाब करने के तरीके के बारे में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
      • रात को सोने से पहले बहुत ज्यादा पानी पीने से बचें। इससे आपको रात में बार-बार पेशान जाने से बचने में आसानी हो सकेगा। लेकिन इसके ये मतलब नहीं कि हाइड्रेट रहने के लिये आप उपयुक्त पानी व अन्य तरल न लें। आपके लिये खुद को हाइड्रेट रखना भी बेहद जरूरी है।
      • गर्भवति महिलाओं में मूत्र रिसाव भी हो सकता है। पेंटी लाइनर्स की मदद से कपड़ों को गीला होने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, कीगल एक्सरसाइज करने से पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, और मूत्र असंयम से बचाव होता है।

अधिक प्यास लगने की समस्या से निपटने के लिये

      अधिक प्यास लगना शरीर का संकेत है कि आपको अधिक तरल पदार्थ की जरूरत है। क्योंकि आप अधिक बार पेशाब जा रही हैं और आपके गुर्दे और अधिक कुशलता से मूत्र उत्पादन कर रहे हैं, तरल की कमी को पूरा करने के लिये आपको और तरल पीने की आवश्यकता है। गर्भावस्था के दौरान खून की मात्रा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसे में एमनियोटिक थैली को अधिक तरल की आवश्यकता होती है।

      इसलिये दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पियें। सब्जियों का रस एक हेल्दी विकल्प है, और फलों के रस से भी अधिक पौष्टिक होता हैष कैफीन लेने से बचें, क्योंकि यह एक मूत्रवर्धक है। अधिक तरल वाले फल खाएं, जैसे तरबूज, खरबूज़। 

जानें दूसरी बार गर्भधारण करने में क्यूं होती है परेशानी

अक्सर महिलाओं को दूसरी बार गर्भधारण करनें में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। गर्भधारण में देरी से लेकर बीमारियों की चपेट में आ जाने जैसी शिकायत होती है। इस बारें में विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।


QUICK BITES

  • दूसरी बार गर्भधारण करने में आती है समस्या।
  • असामान्य ओवुलेशन होता है सबसे बड़ा कारण।
  • उम्र भी प्रभावित कर सकती है प्रजनन क्षमता।
  • गर्भधारण में देरी होने पर डॉक्टर से करे संपर्क।

    गर्भधारण करना हर महिला का एक सुखद अनुभाव होता है लेकिन अगर जानकारों की बात करें तो दूसरी बार गर्भधारण करने में महिलाओं को कई तरह की समस्यायों का सामना करना पड़ता है। इनफर्टिलिटी का सबसे बड़ा कारण होता है असामान्य ओवुलेशन। जिसके कारण गर्भधारण करने में समस्या होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इससे गर्भधारण करना असंभव हो जाता है।

    • महिलाओं की लो फर्टिलिटी या पार्टनर के कमजोर स्पर्म के कारण 20 बार में एक बार गर्भधारण करने की संभावना होती है। दूसरी बार गर्भाधारण के लिए इससे ज्यादा बार कोशिश करनी पड़ सकती है। फर्टीलिटी बढ़ाने वाले आहार और आपकी जीवनशैली पर दूसरी बार का गर्भ निर्भर करता है।  
    • बढ़ती उम्र के साथ फर्टीलिटी में कमी आती है।  जो महिलाएं 35 साल के बाद गर्भधारण करती है उन्हें डिलीवरी के समय कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, इतना ही नहीं इन महिलाओं के बच्चों का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता।
    • 40 पार चुकी महिलाओं को गर्भधारण का रिस्क नहीं लेना चाहिए, क्योंकि 40 के बाद वैसे भी उम्र के कारण कई नई बीमारियां होने लगती हैं जो कि होने वाले बच्चे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
    • पहली गर्भवास्था में आपको भले ही किसी भी तरह के फर्टिलिटी को लेकर समस्या ना हो पर, ध्यान रखें कि पहली गर्भावस्था के दौरान ली गई दवाईयां आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।
    • साथ ही तनाव भी आपकी दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या करता है। दूसरी बार गर्भधारण करने से पहले अक्सर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

    अगर दोबारा गर्भधारण करने की आपकी कोशिशें कामयाब नहीं हो रही हैं तो बिना देरी के आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।